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हौले-हौले खुल गईं दिल की किवड़ियाँ

भौरी-भौरी जग गईं पुरवाइयाँ

कोरा सा, थोड़ा सा काग़ज़ी ये जहाँ

बाँचता हूँ, साँचता अपना ही आसमाँ

उड़जा, रे मनवा, उड़जा

उड़जा, रे मनवा, उड़जा

तुईयाँ-तुईयाँ बदरियाँ छटती जाती रे

चाँदनी अटरिया पे चकमकाती रे

तारों के तार भी जुड़ते जाते हैं

टूटी-फूटी क़िस्मतें मुस्कुराती रे

उड़जा, रे मनवा, उड़जा

उड़जा, रे मनवा, उड़जा

धीरे-धीरे से मनवा, धीरे सब कुछ होवे

धीरे-धीरे से मनवा, धीरे सब कुछ होवे

माली सींचे १०० घड़ा, ऋतू आवे तो फल होवे

माली सींचे १०० घड़ा, ऋतू आवे तो फल होवे

उड़जा, रे मनवा, उड़जा

बेसिरा, रे मनवा, उड़जा

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