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Tum hi ho (poetry) by paru

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मस्त है समा चमके केहकशाँ

तू और मैं तीसरा ना कोई यहाँ

दूर क्यूँ खड़ी बाहों में आ

जलवा तेरे हुस्न का ना मुझसे तु छुपा

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