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Song by Rashi cueen

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दिल है कि मानता नहीं

दिल है कि मानता नहीं

मुश्किल बड़ी है रस्म-ए-मोहब्बत

ये जानता ही नहीं

ओ दिल है कि मानता

दिल है कि मानता

ये बेकरारी क्यों हो रही है

ये जानता ही नहीं

ओ दिल है कि मानता

दिल है कि मानता

दिल तो ये चाहे, हर पल तुम्हें हम

बस यूंही देखा करें

मर के भी हम ना, तुमसे जुदा हों

आओ कुछ ऐसा करें

मुझ में समा जा, आ पास आ जा

हमदम मेरे.. हमनशीं..

दिल है कि मानता

दिल है कि मानता

Song by Rashi cueen от Rashi - Тексты & Каверы