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Khawab Dikhati Hai

Soumya Mukherjeehuatong
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तू हवा मैं ज़मीन

तू जहाँ मैं वहीँ

क्यों कभी मुझे लेके बरसती नहीं

ज़रा सी सांवरी है वो

ज़रा सी बावरी है वो

वो सुरमें की तरह मेरी

आंखों में ही रहती है

सुबह के ख्वाब से उड़ाई है

पलकों के नीचे छुपाई है

मानो ना मानो तुम

सोते सोते ख्वाबों में भी ख्वाब दिखाती है

मानो ना मानो तुम

परी है वो परी की कहानियाँ सुनाती है खुदाया खैर खुदाया खैर

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