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Ye Kaisi Ajab Dastan ho gayi

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चित्रपठ: रुस्तम सोहराब

गायिका : सुरैया

लेखक: कमर जलालाबादी

संगीत : सज्जाद हुसैन

ये कैसी अजब दास्ताँ हो गई है

छुपाते छुपाते बयाँ हो गई है

ये कैसी अजब दास्ताँ हो गई है

छुपाते छुपाते बयाँ हो गई है

ये कैसी अजब दास्ताँ हो गई है

अंतराल संगीत

ये दिल का धड़कना, ये नज़रों का झुकना

जिगर में जलन सी ये साँसों का रुकना

संगीत

ख़ुदा जाने क्या दास्ताँ हो गई है

छुपाते छुपाते बयाँ हो गई है

ये कैसी अजब दास्ताँ हो गई है

अंतराल संगीत

बुझा दो बुझा दो, बुझा दो

सितारों की शम्में बुझा दो

संगीत

छुपा दो छुपा दो, छुपा दो

हसीं चाँद को भी छुपा दो

यहाँ रौशनी महमाँ हो गई है

आअ आअ आअ आअ आअ

ये कैसी अजब दास्ताँ हो गई है

अंतराल संगीत

इलाही ये तूफ़ान है किस बला का

कि हाथों से छुटा है दामन हया का

ख़ुदा की क़सम आज दिल कह रहा है

ख़ुदा की क़सम आज दिल कह रहा है

कि लुट जाऊँ मैं नाम लेकर वफ़ा का

तमन्ना तड़प कर जवाँ हो गई है

आअ आअ आअ आअ आअ

ये कैसी अजब दास्ताँ हो गई है

छुपाते छुपाते बयाँ हो गई है

ये कैसी अजब दास्ताँ हो गई है

धन्यवाद

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