menu-iconlogo
huatong
huatong
Тексты
Записи
फ़िर तन्हाइयों में घिर रहा हूँ

मुझे फ़िर से ढूँढे है मेरा कल

यादों से भी लड़ रहा हूँ मैं

उन्हीं यादों में डूबा दिल हर-एक पल

कभी मिल सकें अगर

क्या मिल पाएँगे सब हम भूलकर, भूलकर?

कुछ यादें हैं जो जीने ना दें

कुछ यादें हैं जो ज़िंदा रखें हमें

कुछ यादें हैं जो जीने ना दें

कुछ यादें तेरी ज़िंदा रखें हमें

सिरहाना ख़ाली, मुझे याद तेरी आ रही है

भूख मर चुकी ही, फ़िक्र तेरी खा रही है

तेरी बिना ख़ुद के देख भी नहीं सकता

घर के आईनों पे बस, huh, धूल जमती जा रही है

जब उठे हाथ मेरे तो बस दुआओं में

लेके अँधेरे तुझे दे रहा सुबहों मैं

इसके अलावा देने को क्या ही बचा है

'गर ये आशिक़ी जुआ तो कितनी बार, huh, लुटा हूँ मैं

जलाए सर्दियाँ, बरसात में वो बात नहीं है

सबकुछ है पास मेरे, मेरे साथ तेरा साथ नहीं है

रख के आया था मैं फूल दहलीज़ पे

बदल लिया ठिकाना तूने, ख़ैर कोई बात नहीं है

ना जाने कैसा ये सज्दों में शोर है

तेरे बाद महफ़िलें ख़ामोश हैं

हम दोनों हू-ब-हू एक जैसे हैं

मैं कहता उसका, वो कहती, "मेरा दोष है"

हाँ, आके देख तेरी याद ने क्या कर दिया है

या आके देख समंदर इसमें भर दिया है

तरस आता नहीं हाल पे ख़ुद के

मैंने ख़ुद के ख़िलाफ़ ख़ुद को कर लिया है

कुछ यादें हैं जो जीने ना दें

कुछ यादें हैं जो ज़िंदा रखें हमें

(...जीने ना दें)

(...ज़िंदा रखें हमें)

Еще от suyyash rai/munawar faruqui/Siddharth singh

Смотреть всеlogo

Тебе Может Понравиться