गम बे हिसाब थे
अलग है हैं वफ़ा के ज़ाब्ते
अलग है हैं अगर मंज़िलें तो क्यूँ ना अलग ही रखें हम रास्ते
क्यूँ ना आज से
मिटा दें ये किस्मत हम हाथ से
और ज़हन आज़ाद हो याद से
हम मिट जाएं जा मिलें खाक से
तेरे शहर भी आए पर सफ़र से ख़तम ना हुए ये फ़ासले
ज़ख़्म भरें ना बड़े बेरेहम से पेश आए हैं हादसे
बात से बात निकली के तेरे दिल पे लग जाए मेरी बात कोई
तू टूटते तारों पे मांगे मुझे तुझे मयसर हो ऐसी रात कोई
I've been working a lot
लिखना नहीं छोड़ता लिखना ही तोड़ है
बिक्ते हैं ये गाने लाखों में
क्या ये सब पैसे का शोर है?
कल साथ ना होंगे पर याद तो होगी और बोलो ना ज़िंदगी क्या है
यादों की माला हा यादों के इलावा कभी कुछ बाकी रहा है
किसी ने क्या ख़ूब कहा है तेरे दरमियाँ बस तू ही खड़ा है
झुकाओ ज़रूरी है
उससे ज़ाहिर होता है के तू ही बड़ा है
जिसे गए हुए खुदसे ज़माना हुआ वो तुम में भटकता है
मैं खुद नहीं हूँ ये कोई और है मुझमें जो तुमको तरसता है
वुजूद एक तमाशा था हम जो देखते थे वो भी एक तमाशा है
है मेरे दिल की गुज़रिश के मुझे मत छोड़ो ये जान का तकज़ा है
हम ज़िंदगी ढूंढते ढूंढते मौत के मुंह में ही जाते रहे
पर हम ठहरे कलाकार
खोज में भी गुन'गुनाते रहे
आओ ना
के तुम ही तो हो जीने की वजह
के बैठे बैठे कर ही दी सुबह
ना तू आया ना ही तेरा है पता
हम्म्म
साहिबा
मैं लेने आया हूँ तेरी ख़बर
तू देख ले जो अब मेरी तरफ़
तो हो ख़त्म मेरी भी ये सज़ा
हम्म्म्म
तुम मेरी यादों में साथ हो
तुम जाके भी मेरे पास हो
तुम्हारे ही दम से ज़िंदा
मर गया जो तुमसे फुर्सत हो
तुम मेरी किताबों की तरह हो
तुम सामने हो लेकिन बंद हो
ये दिल क्यूँ इरादों के जैसा नहीं
के टूटे नहीं अभी तक वो
मेने जो चाहा वो पाया है
हुनर से घर भी चलाया है
उम्र से फरक नहीं पड़ता
बड़ा वो है जिसने बनके दिखाया है
Music हराम वो बोले
फिर मेरे ऊपर किस ख़ुदा का साया है?
घड़ी नाराज़
वो खड़ी नाराज़ के
Music पे क्यूँ इतना टाइम लगाया है?
ख़्वाब तो ख़्वाब हैं
उनका पूरा होना कोई ज़रूरी तो नहीं है
ख़्वाइश तो ख़्वाइश है
आख़िर ज़िंदगी भी कोई मजबूरी तो नहीं है
मुझे ग़म दे सोग दे ले जा ये दिल बेशक इसे तोड़ दे
वो मोहब्बत है क्या जो तुम छोड़ आए
वो मोहब्बत तो नहीं अगर छोड़ गए
तुम ही ग़ुरूर थी
तुम में ही नूर था
तुम भी बेज़ार थी
मैं भी मज़बूर था
ये भी एक दौर है
वो भी एक दौर था
ये तेरी ख़ामोशी तो क्या वो शोर था
जिसे तू मिली वो कोई और था
पर अपना मिलना भी अब मौज़ा
मैं तो गानों में ज़िंदगी गाता हूँ
क्या पता तुम्हें पसंद हो कौन सा
आओ ना
के तुम ही तो हो जीने की वजह
के बैठे बैठे कर ही दी सुबह
ना तू आया ना ही तेरा है पता
हम्म्म
साहिबा
मैं लेने आया हूँ तेरी ख़बर
तू देख ले जो अब मेरी तरफ़
तो हो ख़त्म मेरी भी ये सज़ा
हम्म्म्म