खुश-फहमियां हैं
खुद से बनी हैं
कुछ कमी है, तो (कुछ कमी है तो)
मैं भी यहां हूं
वो भी यहीं है
क्या वो नहीं है जो? (वो नहीं है जो)
क्या वो तेरी मेरी बे-तकल्लुफी?
या वो दुनिया में सबसे सरकशी
तू परियों सी कैसी नाज़नीन
कि दिल ने ज़ेहन की ना सुनी
खुदा ने ये हवाएं तेरे संग कर दीं
तू वो जो बे-रंग को भी रंग करती
तू वो जो मुझे हासिल ही नहीं
मैं करूं तुझे कैसे ये बयान?
मेरी जान, मेरी जान, तू ना जा
अभी कर्ज़ है तुझ पे वो वादा
मेरी जान मुझे क्या ही पता था
रंग बदले ये कैसे आसमान
मेरी जान, मेरी जान, यूं ना जा
बदलो ना तुम अपना इरादा
मेरी जान मुझे क्या ही पता था
रंग बदले ये कैसे आसमान
मेरी सारी उम्र में तू ही है कमी
बाकी सब है मयस्सर
तेरे ना आना मुझे मार देगा
तन्हाइयों में दिल मेरा रुकता है अक्सर
बिखरा है दिल का ये दफ्तर
कोई नहीं घर पर
जाऊंगा किधर तक?
आदतें नहीं छूटतीं
रोज़ वहीं जहां से शुरू किया, सिफर से सिफर तक
दुनिया मिले काम से बस
दुनिया मेरे काम की नहीं
मैं सूरज से मुखातिब होकर शाम से बैठा हूं
ये हमारा पहला जाम तो नहीं
सब्र का इम्तेहान ना ले
तू मेरे सब्र का इनाम तो नहीं
तू मुझसे कुछ छुपा भी ले
तू मुझे कुछ बता ही नहीं
अब तेरी मर्ज़ी, मुझपे कुछ तू कर अयां ही नहीं
मेरी जान, मेरी जान, यूं ना जा
अभी कर्ज़ है तुझ पे वो वादा
मेरी जान मुझे क्या ही पता था
रंग बदले ये कैसे आसमान
मेरी जान, मेरी जान, यूं ना जा
बदलो ना तुम अपना इरादा
मेरी जान मुझे क्या ही पता था
रंग बदले ये कैसे आसमान