रास्ता है बुला रहा
चल चलते हैं चंदा की रोशन सी रातों में, तारे गिन चले
संग ले चल अधूरे ख़्वाबों को
के हर लम्हे को यादों की किताबों मे भर चले
भूल जा जो था कल हुआ
होना था जो हो गया
इस दिन को तो जी ले ज़रा
चल कहीं दूर संग चलें
चल कहीं दूर संग चलें
अँधेरी राहों में सँभल के चल, काँटे हैं यहाँ
चढ़ के पहाड़ों पे तू देख ले मंज़िल तेरी कहाँ
अँधेरी राहों में सँभल के चल, काँटे हैं यहाँ
चढ़ के पहाड़ों पे तू देख ले मंज़िल तेरी कहाँ
परछाई में पेड़ों के मिट्टी की चादर ओढ़ ले
बनाएँ इक नया आशियाँ
अपना समाँ, अपना आसमाँ
अब थोड़ा हँसा के और यूँ मुस्कुरा के हमेशा ख़ुश रहें
भूल जा जो था कल हुआ
होना था जो हो गया
इस दिन को तो जी ले ज़रा
चल कहीं दूर संग चलें
ओओओ दूर संग चलें
चल कहीं दूर संग चलें
चल कहीं दूर संग चलें