छानी जो खाक तो मित्त के सोना
तू बन गया
गमों की आग में तप के सूरज
तू बन गया
छानी जो खाक तो मित्त के सोना
तू बन गया
गमों की आग में तप के सूरज
तू बन गया
आज पाया है तूने
सब खो के मुरीदा
मिली जन्नत तुझे तो
जब बिगडा नसीबा
फकीरा फकीरा फकीरा
फकीरा फकीरा आ आ01:26.58]
हाथों से निकली मंज़िल
जब यह दामन छूट गया
ए बेख़बर तू बेनूर
हो के रोशन हो गया
भरी है यह खाली सी झोली
जो तू भटका दर बदर
यह भी न जाने यह काफ़िर
की दुआ का है असर
जो तारे से टूटा
सब ख्वाइश मिलेगी
ज़रा हाथों को फैला
मन्नतें सब मिलेंगी
फकीरा फकीरा फकीरा
फकीरा फकीरा आ आ आ आ आ
धी धी न न न न धी न न न ग रे त त त त त त त त त त त त म आ ग रे सा त न म ग ते गा(आ आ आ आ आ म ग रे गा)
धी धी न न न न धी न न न ग रे त त त त त त त त त त त त म आ ग रे सा त न म ग ते गा( नि रे गा रे गा म प)
हुआ तबाह और हद्द से
ज़्यादा खोया जब करार
उडी उडी तब साँसें
जैसे उड़ता है गुबार
सोचा करे किस पल में
दिल को राहत है मिली
खुदा के घर में तालीम
तुझको गिर के जब मिली
आज पाया है तूने
सब खो के मुरीदा
मिली जन्नत तुझे तो
जब बिगडा नसीबा
फकीरा फकीरा फकीरा आ
फकीरा फकीरा आ आ आ
आ आ आ आ आ आआ आ आ