menu-iconlogo
huatong
huatong
avatar

Mero Mann Vrindavan Mein Atko

Indresh Upadhyay Ji/Mohit Lalwanihuatong
mariatim1huatong
Şarkı Sözleri
Kayıtlar
मेरो मन वृंदावन में अटको, मेरो मन हरिचरणन में अटको,

बनके जोगन डोलत ब्रज में, बन के जोगन डोलत ब्रज में,

पीवत यमुना जल को,

मेरो मन वृन्दावन में अटको, मेरो मन हरिचरणन में अटको

मेरो मुझ में कुछ ना मोहन, तेरी मिट्टी तेरो कण कण,

मेरो मुझ में कुछ ना मोहन, तेरी मिट्टी तेरो कण कण,

वृंदावन की कुंज गलिन में, वृन्दावन की कुंज गलिन में,

मिल जाओ प्रभु मुझको,

मेरो मन वृन्दावन में अटको, मेरो मन हरिचरणन में अटको ...

इस जोगन के तुम हो साजन, करना है सब आत्म समर्पण,

इस जोगन के तुम हो साजन, करना है सब आत्म समर्पण,

अंत समय आनंद मिले मोहे, अंत समय आनंद मिले मोहे,

बस वेणु के रस को,

मेरो मन वृन्दावन में अटको, मेरो मन हरिचरणन में अटको ....

याद में तोरी भई बावरी, सुध लो मोरी कुंज बिहारी,

याद में तोरी भई बावरी, सुध लो मोरी कुंज बिहारी,

अब आओ मेरे प्राण पियारे, अब आओ मेरे प्राण पियारे,

अपनाओ या जन को,

मेरो मन वृन्दावन में अटको, मेरो मन हरिचरणन में अटको.

बनके जोगन डोलत ब्रज में, बन के जोगन डोलत ब्रज में,

पीवत यमुना जल को,

मेरो मन वृंदावन में अटको, मेरो मन हरिचरणन में अटको,

गिरधर नागर नटवर नागर तरसे मेरो मन

खींचे मेरो ध्यान बुलावे तेरो वृन्दावन

बरसे नैना बैरी रैना कब दोगे दर्शन

यमुना तट पर इक दिन मुझको मिल जाओ मोहन

Indresh Upadhyay Ji/Mohit Lalwani'dan Daha Fazlası

Tümünü Görlogo

Beğenebilirsin