जब प्यार.... नहीं है तो.... भुला क्यूँ.... नहीं देते!
जब प्यार.... नहीं है तो.... भुला क्यूं... नहीं देते!
ख़त किस लिए रक्खे हैं... जला क्यूँ नहीं देते...
जब प्यार... नहीं... है तो... भुला क्यूं... नहीं देते!
किस वास्ते.... लिक्खा.. है हथेली पे मेरा नाम.... -2
मैं हर्फ़-ए....-ग़लत हूँ तो.. मिटा क्यूँ.. नहीं देते -2
ख़त किस लिए रखें है.... जला क्यूं नहीं देते!
जब प्यार... नहीं है तो... भुला क्यूं... नहीं देते।
लिल्लाह शब-ओ-रोज़ की.... उलझन से निकालो -2
तुम मेरे... नहीं... हो तो... बता क्यूँ नहीं देते
ख़त किस... लिए रखें है... जला क्यूं नहीं देते
जब प्यार... नहीं है तो... भुला क्यूं नहीं देते
रह रह... के.. न तड़पाओ... ऐ बे-दर्द... मसीहा- 2
हाथों.... से मुझे..... ज़हर.. पिला क्यूँ नहीं देते- 2
ख़त किस... लिए रखें है... जला क्यूं... नहीं देते।
जब प्यार... नहीं है... तो भुला क्यूं... नहीं देते।
जब इसकी... वफ़ाओं पे... यक़ीं तुम... को नहीं है....- 2
'हसरत'.... को निगाहों.. से गिरा क्यूँ.... नहीं देते- 2
ख़त किस.... लिए रखे हैं.... जला क्यूं नहीं देते।
जब प्यार नहीं है तो, भुला क्यूं.... नहीं देते।
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