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Ae Dil Zara

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بول
ऐ दिल, ज़रा कल के लिए भी धड़क लेना

ये आज की शाम सँभाल के रख लेना

कहाँ वैसे लम्हें आएँगे फ़िर

"ये आग हवाओं में होगी कहाँ"

"के रोज़ तू बाँहों में होगी कहाँ"

ये सोच के जान निकलती है

तुम आज के बाद मिलोगी कहाँ

ये आँच मिली है तो आज बहक लेना

ऐ दिल, ज़रा कल के लिए भी धड़क लेना

ना जाने मुझे क्यूँ ये बात डराती है

कि जो शाम गयी, वो ना लौट के आती है

कहाँ हम-तुम यूँ क़रीब आएँगे फ़िर

मैं तारे-सितारे करूँगा क्या

जो पैरों तले ये ज़मीं ना रही

वजूद मेरा ये तुम्हीं से तो है

रहा क्या मेरा जो तुम्हीं ना रही

ऐ आँसू, ठहर, कभी और छलक लेना

ऐ दिल, ज़रा कल के लिए भी धड़क लेना

Ae Dil Zara بذریعہ amala chebolu/Rishabh Chaturvedi/M. M. Kreem/Manoj Muntashir - بول اور کور