menu-iconlogo
huatong
huatong
anuv-jain-mazaak-cover-image

Mazaak

Anuv Jainhuatong
pressman1914huatong
بول
ریکارڈنگز
ये भी मज़ाक ही तो है

सालों से सड़कों पे सँभल के चल रहा था यूँ

गालों के गड्ढों में तेरे

ना जाने क्यूँ मैं लड़खड़ा के गिर गया हूँ

मुस्कराओ

और ऐसे हँसो मेरी बातों पे

गिरता रहूँ तेरी राहों में

और इनमें ही खो जाऊँगा

ये भी मज़ाक ही तो है

कैसे ये रातों के इरादों में अँधेरा था यूँ

आधे से चाँद सी हँसी

अँधेरी रातों में अब नूर बन गई क्यूँ?

ऐ, चाँद

अब चाँदनी बनके गिरो ज़रा

गिरते रहो मेरे आस-पास

तो तेरा ही हो जाऊँगा

हो जाऊँगा तेरा, एहसास है

साँसें हैं जब तक यहाँ, हो जाऊँ मैं तेरा

ये ना मेरा अंदाज़ है

देखो, मैं ख़ुद हँस रहा अपनी बातों पे यहाँ

ऐसे तुम भी हँसो मेरी बातों पे

ना जाने ये क्या हो रहा मुझे

मैं तेरा ही हो जाऊँगा, हो जाऊँगा

ये भी मज़ाक ही तो है

मेरी नक़ल है या असल में गिर रहे हो तुम भी?

होता नहीं है अब यक़ीं

क्या ये मज़ाक तो नहीं?

Anuv Jain کے مزید گانے

تمام دیکھیںlogo

یہ بھی پسند آسکتا ہے