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Bolo Na

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بول
क्यूँ गुम सी है होंठो से वो हँसी

कुछ कम सी है बातों में ताज़गी

जो दिल में है वो दिल में ही

क्यूँ हम रखें सोचो ना

काँधे पे सिर रख के अगर

रोना है तो रोलो ना

नाराज़गी की खिड़कियाँ

आके ज़रा खोलो ना

दिल में दबी बाते सभी

दिल खोल के बोलो ना

वो बातों ही बातों मे

होते थे गुम आँखों में

बैठे रहे चाँद के नीचे हम

जब देर तक रातों

सिरहाने पे बैठा हूँ मैं

दो पल को तुम सो लो ना

दिल में दबी बाते सभी

दिल खोल के बोलो ना

नाराज़गी की खिड़कियाँ

आके ज़रा खोलो ना

दिल में दबी बाते सभी

दिल खोल के बोलो ना

Bolo Na بذریعہ Harish Sagane/Prateek Gandhi - بول اور کور