अँखियों के झरोखों से, मैंने देखा जो सांवरे तुम दूर नज़र आए, तुम (बड़ी) दूर नज़र आए बंद करके झरोखों को, ज़रा बैठी जो सोचने मन में तुम्हीं मुस्काए, मन में तुम्हीं मुस्काए अँखियों के झरोखों से... इक मन था मेरे पास वो, अब खोने लगा है पाकर तुझे, हाय मुझे, कुछ होने लगा है इक मन था मेरे पास वो, अब खोने लगा है पाकर तुझे, हाय मुझे, कुछ होने लगा है इक तेरे भरोसे पे, सब बैठी हूँ भूल के यूँ ही उम्र गुज़र जाए, तेरे साथ गुज़र जाए अँखियों के झरोखों से... जीती हूँ तुम्हें देख के, मरती हूँ तुम्हीं पे तुम हो जहाँ, साजन, मेरी दुनिया है वहीं पे जीती हूँ तुम्हें देख के, मरती हूँ तुम्हीं पे तुम हो जहाँ, साजन, मेरी दुनिया है वहीं पे दिन रात दुआ माँगे, मेरा मन तेरे वास्ते कहीं अपनी उम्मीदों का, कोई फूल न मुरझाए अँखियों के झरोखों से...
अँखियों के झरोखों से, मैंने देखा जो सांवरे तुम दूर नज़र आए, तुम (बड़ी) दूर नज़र आए बंद करके झरोखों को, ज़रा बैठी जो सोचने मन में तुम्हीं मुस्काए, मन में तुम्हीं मुस्काए अँखियों के झरोखों से... इक मन था मेरे पास वो, अब खोने लगा है पाकर तुझे, हाय मुझे, कुछ होने लगा है इक मन था मेरे पास वो, अब खोने लगा है पाकर तुझे, हाय मुझे, कुछ होने लगा है इक तेरे भरोसे पे, सब बैठी हूँ भूल के यूँ ही उम्र गुज़र जाए, तेरे साथ गुज़र जाए अँखियों के झरोखों से... जीती हूँ तुम्हें देख के, मरती हूँ तुम्हीं पे तुम हो जहाँ, साजन, मेरी दुनिया है वहीं पे जीती हूँ तुम्हें देख के, मरती हूँ तुम्हीं पे तुम हो जहाँ, साजन, मेरी दुनिया है वहीं पे दिन रात दुआ माँगे, मेरा मन तेरे वास्ते कहीं अपनी उम्मीदों का, कोई फूल न मुरझाए अँखियों के झरोखों से...
अँखियों के झरोखों से, मैंने देखा जो सांवरे तुम दूर नज़र आए, तुम (बड़ी) दूर नज़र आए बंद करके झरोखों को, ज़रा बैठी जो सोचने मन में तुम्हीं मुस्काए, मन में तुम्हीं मुस्काए अँखियों के झरोखों से... इक मन था मेरे पास वो, अब खोने लगा है पाकर तुझे, हाय मुझे, कुछ होने लगा है इक मन था मेरे पास वो, अब खोने लगा है पाकर तुझे, हाय मुझे, कुछ होने लगा है इक तेरे भरोसे पे, सब बैठी हूँ भूल के यूँ ही उम्र गुज़र जाए, तेरे साथ गुज़र जाए अँखियों के झरोखों से... जीती हूँ तुम्हें देख के, मरती हूँ तुम्हीं पे तुम हो जहाँ, साजन, मेरी दुनिया है वहीं पे जीती हूँ तुम्हें देख के, मरती हूँ तुम्हीं पे तुम हो जहाँ, साजन, मेरी दुनिया है वहीं पे दिन रात दुआ माँगे, मेरा मन तेरे वास्ते कहीं अपनी उम्मीदों का, कोई फूल न मुरझाए अँखियों के झरोखों से...
अँखियों के झरोखों से, मैंने देखा जो सांवरे तुम दूर नज़र आए, तुम (बड़ी) दूर नज़र आए बंद करके झरोखों को, ज़रा बैठी जो सोचने मन में तुम्हीं मुस्काए, मन में तुम्हीं मुस्काए अँखियों के झरोखों से... इक मन था मेरे पास वो, अब खोने लगा है पाकर तुझे, हाय मुझे, कुछ होने लगा है इक मन था मेरे पास वो, अब खोने लगा है पाकर तुझे, हाय मुझे, कुछ होने लगा है इक तेरे भरोसे पे, सब बैठी हूँ भूल के यूँ ही उम्र गुज़र जाए, तेरे साथ गुज़र जाए अँखियों के झरोखों से... जीती हूँ तुम्हें देख के, मरती हूँ तुम्हीं पे तुम हो जहाँ, साजन, मेरी दुनिया है वहीं पे जीती हूँ तुम्हें देख के, मरती हूँ तुम्हीं पे तुम हो जहाँ, साजन, मेरी दुनिया है वहीं पे दिन रात दुआ माँगे, मेरा मन तेरे वास्ते कहीं अपनी उम्मीदों का, कोई फूल न मुरझाए अँखियों के झरोखों से...