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Ae Dil Sambhal Ja

Omar Mukhtarhuatong
rxdailyhuatong
بول
ریکارڈنگز
इक यह काली जो

ख़यालो की छाई

बहाने से आके

मुझ को जागती है

बिखरे होए हैं

फलक पे यह तारे

ज़मीन पे यह साझ के

नूर भुजा के

यह अपनी इस दूनिया में

रंगो की दूनिया में

लेके कारवाँ

घम के यह चलते हैं

बुझ जो गाए दिये

इक यह ज़हर पिये

दबना ज़मीन में तो फिर तो

ए दिल संभाल जा

क्यूँ है तू रोता

जब यह सफ़र इक

आरज़ी रहना

ए दिल संभाल जा

क्यूँ है तू रोता

जब यह सफ़र इक

आरज़ी रहना

क्यूँ यह ज़ुल्म दिखता है

दुख हे क्यूँ बस बिकता है

रोती आँखे मओन की

कब तक और सहना है

हर कोई फ़ारूँ है

बस ना यहाँ मूसा है

लब पे तो मुहम्मद (सॉ) है

दिल मै ना वो दिखता है

जाउ कहाँ पे मै

रब की रज़ा में में

सजदे में झुक जाउ

उस से पाना मंगु

इक यह काली जो ख़यालो की छाई है

दिल हे दुखती है फिर तो

ए दिल संभाल जा

क्यूँ है तू रोता

जब यह सफ़र इक

आरज़ी रहना

ए दिल संभाल जा

क्यूँ है तू रोता

जब यह सफ़र इक

आरज़ी रहना

रोनक ए जहाँ की मै तलाश पे निकल परा

जो फिसला यहाँ पे तो

बेएखबर रह गया

जो रास्ता चुना है वो

इंतेहाँ सज़ा ना हो

तू हे मेरी जूसतजू है फिर तो

ए दिल संभाल जा, ए दिल संभाल जा

क्यूँ है तू रोता, क्यूँ है तू रोता

जब यह सफ़र इक, जब यह सफ़र इक

आरज़ी रहना, आरज़ी रहना

ए दिल संभाल जा

क्यूँ है तू रोता, क्यूँ है

जब यह सफ़र इक

आरज़ी रहना, आरज़ी रहना

आरज़ी रहना,आरज़ी रहना

जब यह सफ़र इक

आरज़ी रहना

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