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Bandeya

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بول
ये आंसू है गरम

आँखो मे बिजली

हर सोच नोचना चाहे

माथे की खुजली

ये आंसू है गरम

आँखो मे बिजली

हर सोच नोचना चाहे

माथे की खुजली

ऊओ.. मेहनत के दो पहियो पे

सवारी हिम्मत की निकली

मेहनत के दो पहियो पे

सवारी हिम्मत की निकली रे

अब डोर नही दिल्ली

ओ बंदेया चुटकी मे किसमत

बंदेया बदलेगी फ़ितरत

सर पे हो रही है हरकत बंदेया

ओ बंदेया.. चुटकी मे किसमत

बंदेया... बदलेगी फ़ितरत

सर पे पाल रखी है आफ़त बंदेया

ओ. बंदेया

यहाँ पे किल्ले और ताज बनते है

काफी बड़े बनते है

छोटे से कलम से ख्वाब लिखते है

फिर भी बड़े बनते है

देखी है ये दुनिया कहीं तो बनती होगी

आसमान के किसी मंज़िल से सफ दिखती होगी

हो ओ मेहनत के दो पहियो पे हाय

सवारी हिम्मत की निकली

मेहनत के दो पहियो पे

सवारी हिम्मत की निकली रे

अब दूर नहीं दिल्ली

ओ बंदेया चुटकी मे किसमत

बंदेया बदलेगी फ़ितरत

सर पे हो रही है हरकत बंदेया

ओ बंदेया... चुटकी मे किसमत

बंदेया... बदलेगी फ़ितरत

सर पे पाल रखी है आफ़त बंदेया

बंदेया चुटकी मे किसमत

बंदेया... बदलेगी फ़ितरत

सर पे रही है आफ़त बंदेया

ओ बंदेया ओ बंदेया (बंदेया सर पे पाल रखी है आफ़त बंदेया)

बंदेया

Bandeya بذریعہ Raman Mahadevan/Ravi Mishra - بول اور کور