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Shams

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بول
मेरा दिल है तेरी क़दमों पर

उसी के आगे सर मैं अपना झुकाता रहा

बंदगी तो मेरी फ़ितरत है

हर क़दम पे मैं उसी ख़ुदा का रहा

रहूँ पनाह में मेरे यार की

करता रहूँ रहनुमा की दुआ

शागिर्दी की तलाश में

मैं क्यूँ भटका सा रहा?

एकमिजाजी हैं हम मेरी आबरू की तरह

मन में एक ही सरगम है तेरी सरगमों की तरह

छुपाता हूँ दिल की इन ख़ज़ानों को

बिख़रे हुए इन सन्नाटों से कहूँ अगर मैं कुछ तो

खोता हूँ लफ़्ज़ों को अपनी ही बातों से

ढूँढता रहूँ उस आईने को

जो तनहाइयों में दे साथ मेरा

सच यही होगा अगर होगा तो

कहो इसे ना कोई ख़्वाब मेरा

एकमिजाजी हैं हम मेरी आबरू की तरह

मन में एक ही सरगम है तेरी सरगमों की तरह

Shams بذریعہ Sanjeeta Bhattacharya - بول اور کور