फासले दरमियां बढ़ जाए जितने भी
नजदीकियों मे कमी पर आए ना कभी
फासले दरमियां बढ़ जाए जितने भी
नजदीकियों मे कमी पर आए ना कभी
समझ लेना अगर ऐसी राहत है
इश्क में शामिल रूहानियत है
इश्क में शामिल रूहानियत है
तन्हाईयों मे भी तन्हा ना हो दिल
हर तरफ उसकी याद हो
आलम हो ऐसा विरानीयों में भी ये अबाद हो
समझ लेना अगर ऐसी हालत है
इश्क में शामिल रूहानियत है ओ
इश्क में शामिल रूहानियत है ओ...
हो रूह हाजिर क्या जिस्म है फिर
साथ निभाने के लिए
बाकी नहीं है फिर जिंदगी में
कुछ और पाने के लिए
समझ लेना अगर ऐसी इनायत है
इश्क में शामिल रूहानियत है
ओ इश्क में शामिल रूहानियत है