ओ, सजनी, तेरे प्यार में मुसाफ़िर बन गया
तेरी तस्वीरें देखें, तरसा ये मन
बहके आजा पास मेरे, जैसे हो पवन
यादों में समाया हर क़तरा तेरा
हुआ आशिक़ाना ये ठिकाना-ए-चमन
खिड़कियों को घर की मेरे तेरा इंतज़ार है
गुफ़्तुगू वो तेरे बारे करती हज़ार
बोले, बतियाँ-बतियाँ मुझको जगाएँ
रतियाँ तुझ बिन कैसे हम बिताएँ?
बतियाँ-बतियाँ मुझको जगाएँ
रतियाँ तुझ बिन कैसे हम बिताएँ?
पूछूँ फ़िज़ाओं से मैं तेरी दिशाएँ
सौंधी महक वो तेरी दिल से लगाएँ
आईना भी देखे तुझको, हाए, शरमाए
ख़ुशबू सी घुलती जाए तेरी हवाएँ
तुझको कैसे मैं बताऊँ सारी बातें अनकही?
जो मैं कह ना पाया तुझसे, वो किताबों में लिखी
तेरे इश्क़ से दीवारें मेरे दिल की हैं रंगीं
तू वो ख़्वाब, देखा जिसको मैंने सारी ज़िंदगी
चौखटों पे आजा घर की, पिया, लेके पाँव रे
तेरी सोहबतों का दिल ये करता इंतज़ार
बोले, बतियाँ-बतियाँ मुझको जगाएँ
रतियाँ तुझ बिन कैसे हम बिताएँ?
बतियाँ-बतियाँ मुझको जगाएँ
रतियाँ तुझ बिन कैसे हम बिताएँ?
बतियाँ-बतियाँ मुझको जगाएँ
रतियाँ तुझ बिन कैसे हम बिताएँ?
(बतियाँ, बतियाँ)