कौन सुनेगा?
किसको सुनायें?
इसलिए चुप रहते हैं
कौन सुनेगा?
किसको सुनायें?
कौन सुनेगा? किसको सुनायें?
इसलिए चुप रहते हैं
हमसे अपने
रूठ न जाएँ
हमसे अपने, रूठ न जाएँ
इसलिए चुप रहते हैं
मेरी सूरत देखने वालों
मैं भी इक आइना था
मेरी सूरत देखने वालों
मैं भी इक आइना था
टूटा जब ये, शीशा ये दिल
सावन का महीना था
टुकड़े दिल के
किसको दिखाएँ?
टुकड़े दिल के, किसको दिखाएँ?
इसलिए चुप रहते हैं
हमसे अपने, रूठ न जाएँ
हमसे अपने, रूठ न जाएँ
इसलिए चुप रहते हैं
आज ख़ुशी की, इस महफ़िल में
अपना जी भर आया है
आज ख़ुशी की, इस महफ़िल में
अपना जी भर आया है
गम की कोई बात नहीं है
हमे ख़ुशी ने रुलाया है
आँख से आँसू
बह ना जाएँ
आँख से आँसू, बह ना जाएँ
इसलिए चुप रहते हैं
हमसे अपने
रूठ न जाएँ
हमसे अपने, रूठ न जाएँ
इसलिए चुप रहते हैं