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Raat Kali Ek Khwab Men Aai - Lofi

Sanjay S Yadav/Kishore Kumarhuatong
ryan1409huatong
歌词
作品
रात कली एक ख़ाब में आई

और गले का हार हुई

रात कली एक ख़ाब में आई

और गले का हार हुई

सुबह को जब हम नींद से जागे

आँख उन्हीं से चार हुई

रात कली एक ख़ाब में आई

और गले का हार हुई

चाहे कहो इसे मेरी मोहब्बत

चाहे हँसी में उड़ा दो

ये क्या हुआ मुझे मुझ को ख़बर नहीं

हो सके तुम्हीं बता दो

चाहे कहो इसे मेरी मोहब्बत

चाहे हँसी में उड़ा दो

ये क्या हुआ मुझे मुझ को ख़बर नहीं

हो सके तुम्हीं बता दो

तुम ने क़दम तो रखा ज़मीं पर

सीने में क्यूँ झनकार हुई

रात कली एक ख़ाब में आई

और गले का हार हुई

आँखों में काजल और लटों में

काली घटा का बसेरा

साँवली सूरत मोहनी मूरत

सावन रुत का सवेरा

आँखों में काजल और लटों में

काली घटा का बसेरा

साँवली सूरत मोहनी मूरत

सावन रुत का सवेरा

जब से ये मुखड़ा दिल में खिला है

दुनिया मेरी गुलज़ार हुई

रात कली एक ख़ाब में आई

और गले का हार हुई

यूँ तो हसीनों के माहजबीनों के

होते हैं रोज़ नज़ारे

पर उन्हें देख के

देखा है जब तुम्हें

तुम लगे और भी प्यारे

यूँ तो हसीनों के माहजबीनों के

होते हैं रोज़ नज़ारे

पर उन्हें देख के

देखा है जब तुम्हें

तुम लगे और भी प्यारे

बाँहों में ले लूँ ऐसी तमन्ना

एक नहीं कई बार हुई

रात कली एक ख़ाब में आई

और गले का हार हुई

सुबह को जब हम नींद से जागे

आँख उन्हीं से चार हुई

रात कली एक ख़ाब में आई

और गले का हार हुई

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