हर तरफ, हर जगह, हर कही पे है,
हा.. उसी का नूर
हर तरफ, हर जगह, हर कही पे है,
हा.. उसी का नूर
हर तरफ, हर जगह, हर कही पे है,
हा.. उसी का नूर
हा उसी का नूर
रौशनी का कोई दरिया तो है,
हा कही पे ज़रूर..2
रौशनी का कोई दरिया तो है
हा कही पे ज़रूर
ये आसमान ये ज़मी...
, चांद और सूरज
(क्या बना ,सका है
कभी.... कोई भी कुदरत..)2
कोई तो है ,जिसके आगे, है आदमी मजबूर..
कोई तो है ,जिसके आगे, है आदमी मजबूर.
हर तरफ हर जगह, हर कही पे है
हा.. उसी का नूर
इंसान जब कोई ,है राह से भटका
(किसने ,दिखा दिया, उसको सही रास्ता..)2
कोई तो है, जो करता है
,मुश्किल हमारी दूर..
कोई तो है जो करता
है, मुश्किल हमारी दूर..
हर तरफ, हर जगह, हर कही पे है
हा.. उसी का नूर
रौशनी का कोई दरिया तो है
हा कही पे जरूर
आलाप...