रात से जो रूठा सवेरा
पल में जो टूटा बसेरा
पार होगा तू, पार होगा तू
जिसम से जान भी हो तन्हा
रूह भी ना करे शिकवा
पार होगा तू, पार होगा तू
जब तेरा टूटे होसला
जब हाथ ना हो कोई फ़ैसला
कुछ ना मिले सज़्ज़ा या सिला
तब देखना होगी सुबह दोबारा
जो जर्द हो साँसें जहाँ की
जो सर्द हो धड़कन समा की
पार होगा तू, पार होगा तू
जिस-म से जान भी हो तन्हा
रूह भी ना करे शिकवा
पार होगा तू, पार होगा तू
जब तेरा टूटे होसला
जब हाथ ना हो कोई फ़ैसला
कुछ ना मिले सज्जा या सिला
तब देखना होगी सुबह दोबारा
आस हूँ , तेरे पास हूँ
आस हूँ तेरे पास हूँ
आस हूँ तेरे पास हूँ
आस हूँ तेरे पास हूँ
आस हूँ तेरे पास हूँ
आस हूँ तेरे पास हूँ
आस हूँ तेरे पास हूँ
आस हूँ तेरे पास हूँ