किसी की रूहों को छूना आसाँ नहीं होता
किसी में ख़ुद को ही पाना आसाँ नहीं होता
दिल के हज़ार टुकड़े फ़र्श पे पड़ेंगे
रात-भर जगोगे, रेंगे के चलोगे
फिर भी ये हो ना पाएगा, वो तो जाएगा
खुद को बेच के भी तू उसे ना पाएगा
ये इश्क़ आसाँ नहीं होता
अब ये लफ़्ज़ों का है धोखा
धोखा देके तुम किसी के ना बानों
हमराज़ वो चुनो जो अल्फ़ाज़ से ना हो
किसी की आँखों से बहना आसाँ नहीं होता
किसी की बाँहों में रहना आसाँ नहीं होता
बंजर ख़याल होंगे, उलझे सवाल होंगे
दर-बदर फिरोगे, ख़ुद को ना मिलोगे
फिर भी ये हो ना पाएगा, वो तो जाएगा
खुद को बेच के भी तू उसे ना पाएगा
जिस्मों से परे जो देखोगे
तो ही शहर-ए-मोहब्बत पाओगे
वरना उम्र-भर तरसते रह जाओगे
दिलों के फ़र्श पर पत्थर सजाओगे
किसी की रूहों को छूना आसाँ नहीं होता
किसी की आँखों से बहना आसाँ नहीं होता
आसाँ नहीं होता, आसाँ नहीं होता
आसाँ नहीं होता, आसाँ नहीं होता
आसाँ नहीं होता, आसाँ नहीं होता