रुक जाओ परदेशी, आज मोरा गाँव रे
कुँए का ठंडा पानी,पीपल की छांव रे
रुक जाओ परदेशी,आज मोरा गाँव रे
कुँए का ठंडा पानी--2
मौसम बसंती में मेरा सिंगार है
सरसो के फूलों सा खिलता ये प्यार है--2
कुछ तो समझ ले मितवा शब्दो के भाव रे
कुँए का ठंडा पानी,पीपल की छाँव रे
रुक जाओ परदेसी आज मोरा गांव रे
कुँवें का ठंडा पानी--2
नैनों में नीर और धड़कन में पीर है,यादों के दर्पण में तेरी तस्वीर है-2
मन के हिलोरे जैसे नदिया में नाव रे
कुँवें का ठंडा पानी,पीपल की छाँव रे
रुक जाओ परदेशी आज मोरा गांव रे
कुँवें का ठंडा पानी-2
काहे निरमोही से नेहा लगाई बदले मिला रे जै देदी जुदाई-2
पीसत है तेरी बतिया
बनकर के घाव रे
कुँवें का ठंडा पानी,पीपल की छाँव रे-2
रुक जाओ परदेशी आज मोरा गाँव रे
कुँवें का ठंडा पानी-4