मैं ये भी नहीं जानता के दिल में राज कितने है छुपे मेरे
मैं ये भी नहीं जानता के दिल में खवाब कितने हैं दबे मेरे
ये दिल अनजान है इल्जामो से अपने जो इसने ही खुद पे लगाए हैं
ये दिल नादान है जो खवाबो की चादर से इसमें तो खवाब छुपाए हैं
मैं ये भी नहीं जानता की दिल छुप छुपके किसकी दुआए करे
मैं ये भी नहीं जानता के दिल में राज कितने है छुपे मेरे