समय को भरोसो कोनी
कदि कदि भेडीया सु सिंघ हार जावे,
समय को भरोसो कोणी,
कद पल्टी मार जावे,
समय को भरोसो कोणी,
कद पल्टी मार जावे।।
गुरु वशिष्ठ महामुनी ग्यानी,
लिख लिख बात बतावे,
श्री राम जंगल में जावे,
किस्मत पल्टी खावे,
राजा दशरथ प्राण त्याग दे,
हाथ लगा नहीं पावे,
समय को भरोसो कोणी,
कद पल्टी मार जावे।।
राजा हरिश्चन्द्र रानी तारावती,
रोहितास कंवर कहावे,
ऐसो खेल रच्यो म्हारा दाता,
तीनो ही बिकवा जावे,
एक हरिजन एक ब्राम्हण घर,
एक कुबदा घर जावे,
समय को भरोसो कोणी,
कद पल्टी मार जावे।।