चाँद छुपा बादल में
शरमा के मेरी जाना
सीने से लग जा तू
शरमा के मेरी जाना
गुमसुम सा है, गुपचुप सा है
मदहोश है, खामोश है
ये समा, हाँ ये समा, कुछ और है
हो हो, चाँद छुपा बादल में
शरमा के मेरी जाना
हमदर्द है हमदम भी है तू साथ है तो ज़िन्दगी
तू जो कभी दूर रहे यह हमसे हो जाये अजनबी
तुझसे महोबबत करते है जो
तुझसे महोबबत करते है जो
कैसे करे हम उसको है याद
बातें ये कभी ना तू भूलना
कोई तेरे खातिर है जी रहा
जाए तू कहीं, भी ये सोचना
कोई तेरे खातिर है जी रहा