ओ ओ ओ
क्या मुझे प्यार है
ओ ओ ओ
कैसा खुमार है
तुम क्यूँ चले आते हो
हर रोज़ इन ख़्वाबो में
चुपके से आ भी जाओ
इक दिन मेरी बाहो में
तेरे ही सपने अधेरो में उजालों में
कोई नशा है तेरी आँखों के प्यालों में
तू मेरे ख्वाबो में जवाबो में सवालों
हर दिन चुरा तुम्हें मैं लता हूँ खयालों में
क्या मुझे प्यार है कैसा खुमार है
क्या मुझे प्यार है कैसा खुमार है
ओ ओ ओ
क्या मुझे प्यार है कैसा खुमार है
ओ ओ ओ
क्या मुझे प्यार है कैसा खुमार है
पत्थर के इन रस्तों पे
फूलों की एक चादर है
जब से मिले हो हमको
बदला हर एक मंज़र है
देखो जहां में नीले नीले आसमां तले
रंग नए नए जैसे घुलते हुए
सोय से ख़्वाब मेरे तेरे वास्ते
तेरे खवालों से है भीगे में रास्ते
क्या मुझे प्यार है कैसा खुमार है