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Kya Tujh Pe Nazm Likhon (Album Version)

Ahmed & Mohammed Hussain/Ustad Mohammed Hussainhuatong
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क्या तुझ पे नज़्म लिखूं

और कैसा गीत लिखों

क्या तुझ पे नज़्म लिखूं

और कैसा गीत लिखूं

जब तेरी तारीफ़ करूँ

सुर ताल में मीट लिखूं

क्या तुझ पे नज़्म लिखूं

और कैसा गीत लिखूं

जब तेरी तारीफ़ करूँ

सुर ताल में मीट लिखूं

क्या तुझ पे नज़्म लिखूं

और कैसा गीत लिखूं

क्या तुझ पे नज़्म लिखूं

कलावती में तेरी च्चबी हैं

मुखड़ा रूप का दर्पण

तेरे लबों के रंग में पाए

मैने लाली अमन

हवा में उड़ती लटक

स्वागत करती जाई जायवंती

महका महका खिल्ला

खिलासा तेरा रंग बसंती

बाल कमाल पे जैसे पहदिपार

घन घोर घटाए

मेघ से नैना सावन भादो

प्रेम का रस बरसाए

तेरी सोंधी मोहनी सूरत

कोमल कंचन काया

जाने गाज़ल किस्मत से पाई

तेरे हुस्न किी साया

जिसने सुख मेरा राजेश्वरी

रूहे संगीत लिखूं

क्या तुझ पे नज़्म लिखूं

और कैसा गीत लिखूं

क्या तुझ पे नज़्म लिखूं

तेरी धानी चुनरिया लहरे

जैसे मधुर भाया

प्यार का घुलशन महका महका

तुझसे जाने बहार

तेरी ये झलक हैं काफ़ी

मुझको जान से प्यारी

चाल नशीली देखा के तेरी

लॅब्स करें बर्बादी

सर से पाओं तलाक़ दिलकश

अंदाज़ तेरा साना

तू मेरी घुलकली हैं जानम

मैं तेरा हूँ दीवाना

तेरी चाहत दिल में लेकर

घुमा देश विदेश

तुझसे जैसे डोर रहा हूँ

धारा जोगिया फिर

सदा सुहागन धार भी तुझको

प्रीत की रीत लिखूं

क्या तुझ पे नज़्म लिखूं

और कैसा गीत लिखूं

जब तेरी तारीफ़ करूँ

सुर ताल में मीट लिखूं

क्या तुझ पे नज़्म लिखूं

और कैसा गीत लिखूं

क्या तुझ पे नज़्म लिखूं

क्या तुझ पे नज़्म लिखूं

क्या तुझ पे नज़्म लिखूं.

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