अगर ऐतराज है इस जमाने को
दो दीवानो के जीने से
अगर ऐतराज है इस जमाने को
दो दीवानो के जीने से
तो ऐ खुदा हटाडे इस दिल का सिस्टम सीने से
दुश्मन
दुश्मन बनल ज़माना
कैसे जी ही दीवाना
दुश्मन बनल ज़माना
कैसे जीही दीवाना
अपना भईल बेगाना हो
अपना भईल बेगाआना
कैसे जीही दीवाना
दुश्मन बनल ज़माना कइसे जीही दीवाना
दुश्मन बनल ज़माना कैसे जीही दीवाना
अगर गम मोहब्बत पे हावी न होता
तो खुदा की कसम मैं सराबी न होता
केहू ना बेवफा ह झूठो सब बदनाम करे
समय के चोट पे मरहम ना कौनो काम करे
ना हम कईनी बेवफाई ना उ कईनी बेवफाई
फिर भी होखेला काहे हमनी में ये जुदाई
सब लूट गईल खजाना हो
सब लुट गईल खजाना
कैसे जीही दीवाना
दुश्मन बनल ज़माना कैसे जीही दीवाना
दुश्मन बनल ज़माना कैसे जीही दीवाना
टूट कर ना जाने कब का बिखर गया होता
अगर मैं मैं नही पिता
तो सायद मर गया होता
रास ना आवे मोहब्बत काहे जमाना के
कहेला होला बुरा हाल हर दीवाना के
घुट घुट के जहर ऐसन पीही त पीही कैसे
फाटल करेजा आपन
सिहित सिहि कैसे
गम ही बनल तराना हो
गम ही बनल तराना
कैसे जिहि दीवाना
दुश्मन बनल ज़माना कैसे जीही दीवाना
दुश्मन बनल ज़माना कैसे जीही दीवाना