पूछो ना मुझसे कहानी मेरी
कैसी रही ज़िंदगानी मेरी
पूछो ना मुझसे कहानी मेरी
कैसी रही ज़िंदगानी मेरी
अम्बर के सारे सितारों से भी
अपने घर और दीवारों से भी
रखी छुपाकर निशानी तेरी
पूछो ना मुझसे कहानी मेरी
कैसी रही ज़िंदगानी मेरी
ना चाहूं दुआएं, ना चाहूं दिलासा
रब से है मेरा ये वाजिब गिला सा
हँसता ज़माना मेरे आँसुओं पे
इश्क़ था मेरा ना कोई तमाशा
ग़म में ही गुज़री जवानी मेरी
पूछो ना मुझसे कहानी मेरी
कैसी रही ज़िंदगानी मेरी
पूछो ना मुझसे कहानी मेरी