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Aaja

Shubham Kabrahuatong
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कैसी हैं ये राहें अनजानी?

खोखली पड़ी तेरी कहानी

चुनरी पे दाग़, फिर भी मस्तानी

उठें जो ये सवाल, काफ़िराना ना मानी

ये चल दी तू कहाँ?

रह गए तेरे निशाँ, हाँ-हाँ

आजा, आ, कहाँ है तू, तू?

बस्ती बहर है, जलता शहर है

कहाँ तू ये घूमे, नाज़ुक नज़र है

Hmm, क्यूँ बेख़बर है? सब बेअसर है

आग है तू, राख हूँ मैं, कैसी दोपहर है?

कैसी ये नुमाइश है? ख़्वाहिश है

साज़िश है इन ख़यालों की

क्यूँ है थकी? क्यूँ है थमी? क्यूँ है रुकी?

क्या है कमी? पूछे ख़ुद से ही

आजा, आ, कहाँ है तू, तू?

आजा, आ, कहाँ है तू, तू?

कहाँ है तू?

(कहाँ है?)

(कहाँ है?)

कहाँ है?

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Aaja par Shubham Kabra - Paroles et Couvertures