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Buddhu Sa Mann (Arrived Version)

Nikhil Shettyhuatong
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दबी-दबी सी हँसी होंठों पे फ़ँसी है

गुदगुदी कर रही हवा

हो, हल्ला मचा रही हैं पागल सी ख्वाहिशें

खुशियों की मिली है वजह, हाँ

कुछ है जुनून सा, कुछ पागलपन है

१०० बातें करता, ये बुद्धू सा मन है

कुछ है जुनून सा, कुछ पागलपन है

१०० बातें करता, ये बुद्धू सा मन है

करने दे ख़ाबों को बदमाशियाँ

चलने दे नज़रों की मनमानियाँ

ढूँढें चलो कुछ ठिकाने नए

होने दे पगली-पगली सी नादानियाँ

होश में रहना है क्यूँ? रहने से होगा क्या?

बेहोशियों में है मज़ा

हो, बचकानी हरकतें जो होती हैं, होने दे

खुशियों की मिली है वजह, हाँ

कुछ है जुनून सा, कुछ पागलपन है

१०० बातें करता, ये बुद्धू सा मन है

कुछ है जुनून सा, कुछ पागलपन है

१०० बातें करता, ये बुद्धू सा मन है

...बुद्धू सा मन है

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